Mustard Price: केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20% बढाया अब सरसों का भाव 7वे आसमान में किसान हुए मालामाल - Trading Research

Mustard Price: केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20% बढाया अब सरसों का भाव 7वे आसमान में किसान हुए मालामाल

SB News Digitak Desk: Mustard Price- केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20% बढाया अब सरसों का भाव 7वे आसमान में किसान हुए मालामाल अब सरसों के भावों में वृद्धि होने की संभावना, केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20% किया, जानिए सरसो के मंडी भाव इस साल सरसों के भाव पिछले सालों के मुकाबले काफी कम रहे हैं.

इसकी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वजहें थीं. लेकिन अब सरसों के भावों में वृद्धि होने की संभावना है. क्योंकि केन्द्र सरकार ने 31 मार्च 2023 को खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 20 प्रतिशत कर दिया है. पहले यह शून्य था. किसानों को अब उम्मीद है कि स्थानीय बाजार में अब तेल की मांग पूरी करने के लिए सरसों की खरीद बढ़ेगी. इससे किसानों को सरसों की एमएसपी 5450 रुपये प्रति क्विंटल के भाव मिलने की उम्मीद है.

Mustard Price अब सरसों के भावों में वृद्धि होने की संभावना, केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20% किया, जानिए सरसो के मंडी भाव

एमएसपी से कम में बिक रही सरसों Mustard being sold for less than MSP
टोंक जिले के किसान गोपीलाल ने अपने 10 बीघा खेतों में सरसों उगाई. पहले बारिश से उपज कम हुई. दूसरी ओर बाजार ने उनका मनोबल तोड़ दिया. गोपीलाल ने जो सरसों बारिश में भीगी थी, उसे मंडी में बेच दिया. हालांकि इसका रेट उन्हें 4700 रुपये प्रति क्विंटल का ही मिला. गोपीलाल कहते हैं, “मेरी कुछ उपज अभी भी घर में रखी है.चूंकि सरसों का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी कम है,

इसीलिए इसे बेचने की इच्छा नहीं है. जब भाव अच्छा होगा तब अपनी उपज बेचूंगा.” बता दें कि फिलहाल सरसों का भाव अलग-अलग मंडियों में 4500 से पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल तक है.

पिछले सालों की तुलना में सरसों की कम आवक Less arrival of mustard as compared to previous years
उधर, सरसों की सबसे बड़ी मंडी भरतपुर में मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य भूपेन्द्र गोयल से किसान तक ने बात की. वे कहते हैं, “इस साल मौसम ने किसानों का काफी नुकसान किया है.

फरवरी माह में तेज गर्मी ने सरसों को नुकसान पहुंचाया. इससे सरसों का दाना छोटा हुआ और तेल की मात्रा कम हो गई. मार्च महीने में बारिश और ओलावृष्टि ने सरसों में काफी नुकसान किया.

बारिश से फसल भीग गई.” भूपेन्द्र जोड़ते हैं, “भरतपुर सरसों की सबसे बड़ी मंडी है. इस साल यहां सरसों की आवक बेहद कम है. अभी यहां फिलहाल 8-10 हजार कट्टे (50 किलो) सरसों के आ रहे हैं. जबकि पिछले साल यही आंकड़ा 30 हजार कट्टों तक था. ऐसा इसीलिए भी है क्योंकि किसान अपनी उपज अच्छे दाम मिलने की उम्मीद में मंडी में नहीं ला रहे.

जो उपज वे मंडी में ला रहे हैं वो गीली है. इसीलिए भाव अच्छे नहीं हैं.”  वे कहते हैं पाम ऑयल पर आयात शुल्क बढ़ाने से उसके भाव बढ़ेंगे. इससे सरसों के तेल की मांग बढ़ेगी. क्योंकि यह पाम ऑयल के मुकाबले उपभोक्ताओं को सस्ता मिलेगा.

सरसों के तेल पर भी हुआ असर Mustard oil also affected
Mustard Price अब सरसों के भावों में वृद्धि होने की संभावना, केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20% किया, जानिए सरसो के मंडी भाव Mustard Price अब सरसों के भावों में वृद्धि होने की संभावना, केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20% किया, जानिए सरसो के मंडी भाव भूपेन्द्र कहते हैं कि कम रेट होने के कारण इस साल सरसों के तेल की कीमत भी स्थिर है.

फिलहाल करीब 114 रुपये प्रति किलो का भाव है. इससे सस्ता विदेशों से आयात हो रहे पाम ऑयल और अन्य तेलों की कीमत है. इसीलिए अप्रैल में पूरी ताकत के साथ चलने वाली तेल मिलें इस साल मार्च के दूसरे-तीसरे हफ्ते में ही मंदी पड़ गईं. 

किसान चाहते हैं 100 प्रतिशत हो आयात शुल्क Farmers want 100 percent import duty
खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 20 प्रतिशत किए जाने का राष्ट्रीय किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट स्वागत करते हैं. वे कहते हैं, “ 20 प्रतिशत आयात शुल्क होने से सरसों की रेट में वृद्धि होगी. अब हमें उम्मीद है कि सरसों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य  5450 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाएंगे. इससे सरसों के तेल सहित अन्य उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी होगी.”

रामपाल जोड़ते हैं कि हम किसानों की मांग है कि विदेशों से आयात होने वाले खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 100 फीसदी कर दिया जाए. इससे देश के सरसों उत्पादक किसानों को फायदा होगा. साथ ही इससे जुड़े व्यापारियों को भी लाभ होगा. साथ ही हमारी मांग है कि पाम ऑयल को देश में बैन किया जाए. क्योंकि पाम ऑयल रंग-स्वाद एवं सुगंध हीन पेड़ों का तरल पदार्थ है

जिसे खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग में लिया जाना ठीक नहीं है. इसलिए पाम आयल को खाद्य तेलों की श्रेणी से हटाकर उसके खाद्य तेल के रूप में उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाया जाए. 

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