Karnataka High Court: कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, अब पिता की जगह बेटी नही कर पाएगी नौकरी, जाने असली कारण - Trading Research

Karnataka High Court: कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, अब पिता की जगह बेटी नही कर पाएगी नौकरी, जाने असली कारण

SB News Digital Desk: Karnataka High Court:  कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, अब पिता की जगह बेटी नही कर पाएगी नौकरी, जाने असली कारण ,एक सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी की तैयारी पर मौत हो जाती है. तो नियमों के अनुसार उसके परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी करने का एक सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी की तैयारी पर मौत हो जाती है. तो नियमों के अनुसार उसके परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी करने का अवसर मिलता है. लेकिन बहाने जिन्हें लोग अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं. वह इस नौकरी के हकदार होती हैं या नहीं कोर्ट का क्या है कहना आइए देखते हैं?

 

किसी भी परिवार का हिस्सा उनकी “बहनें नहीं होती है” ऐसा कहना कर्नाटक हाई कोर्ट का है. क्योंकि एक सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद उसकी बहन ने सरकारी नौकरी करने का दावा किया था. नियमों में अगर किसी सरकारी कर्मचारी की नौकरी पर मौत हो जाती है.

तो उसके परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान बनाया गया है. इन्हीं नियमों के तहत उसकी बहन भी अपने भाई की मौत के बाद कंपनी में नौकरी की लगातार मांग कर रही थी कंपनी ने इससे इनकार कर दिया था.

नौकरी पर भाई की मौत के बाद बहन ने नौकरी को लेकर उठाई मांगदरअसल कर्नाटक हाई कोर्ट ने कंपनी एक्ट 1956 और कंपनीज एक्ट 2013 का हवाला देते हुए कंपनी ने बहन को इन्हीं कानून के तहत नौकरी देने से इनकार कर दिया था. यह मामला कर्नाटक के तुमकारू का बताया जा रहा है. यहां बेंगलुरु इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड में एक कर्मचारी के पद पर ड्यूटी के दौरान उसकी मौत हो गई थी. इसके बाद उसकी बहन पल्लवी ने भाई के पद पर कंपनी से नौकरी की मांग की थी. लेकिन कंपनी ने उस मांग को इनकार कर दिया और वह सेशन पोर्ट पहुंच गई।
 

दरअसल, कर्मचारी की बहन पल्लवी ने हवाला देते हुए कहा कि, वह अपने भाई पर निर्भर थी और वह मेरे परिवार का सदस्य था और मैं उसे परिवार में सदस्य होने के नाते मुझे नौकरी मिलनी चाहिए. वहीं कंपनी की ओर से इसके उलट में जवाब देते हुए कहा गया कि किसी भी व्यक्ति को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देना समानता के नियम के विरुद्ध है. क्योंकि अगर नियम को सही तरीके से माना जा रहा है तो बहन अपने भाई की मौत के बाद किसी भी नौकरी की हकदार नहीं होती है.

 

कंपनी की ओर से पेश किए गए दलील को हाई कोर्ट ने स्वीकार करते हुए पल्लवी की अपील खारिज कर दिया. और कहा कि लंबे समय से यह कानून है कि ड्यूटी के दौरान मारे गए कर्मचारी चाहे वह महिला हो या फिर पुरुष की नौकरी के बदले में परिवार का कोई भी सदस्य अनुकंपा नियमों के तहत नौकरी हासिल कर सकता है. लेकिन इसके लिए भी एक नियम है. जब वह अपने निर्भरता साबित कर देगा तो नियमों के मुताबिक बहाने परिवार के सदस्य की परिभाषा में शामिल नहीं है और इसलिए वह इस नौकरी की हकदार भी नहीं होती है.

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